Arun Pal Singh
सोमवार, 4 जून 2012
मसरूफ़ियत
एक सांस सुबह ली थी, एक अब भरी है दिन ढलने पर
बीच की जिंदगी किस रंग में बीती खबर नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें