Arun Pal Singh
शनिवार, 2 जून 2012
क़र्ज़
रात भर ताकता हूँ और रोता हूँ
मैंने चाँद का क़र्ज़ चुकाना है कोई |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें