गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

बता ज़िन्दगी तेरा सरूर कहाँ है?

बता ज़िन्दगी तेरा सरूर कहाँ है |
था मैं जिस पे मगरूर कहाँ है ||

कहाँ है फलसफा कहाँ वो अंदाज़
रहता था आँखों में वो नूर कहाँ है |

ज़ेहन को नाज़ था जिन ख्वाबों पर
तासीर क्या हुई वो गरूर कहाँ है |

हाथ से जो छूटा हाथ दोस्तों का
कौन देखे कौन कितनी दूर कहाँ है |

शाम से सुबह , सुबह से शाम
सफ़र क्यों जाना बदस्तूर कहाँ है |

1 टिप्पणी:

Sushil Bakliwal ने कहा…

शुभागमन...!
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नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव.

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