शनिवार, 18 दिसंबर 2010

जंग

दुनिया से लड़ फितरत से लड़
खातिर सच की हर आफत से लड़|

बुन बुन के जाल आती है बार बार
ठुकरा, झूठ की हर दावत से लड़|

खुदी रोके तो खुदी को मार डाल
गर खौफ दे तो शराफत से लड़ |

करवट लेती उमंग बाँध दे
कदम रोकती इज़ाज़त से लड़ |

उठ संभल के लड़ना ही ज़िन्दगी है
तू लड़ और पूरी ताकत से लड़|

करीब १३ वर्ष पहले लिखी गयी

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